
प्रबंधन की प्रताड़ना से त्रस्त अडानी के पूर्व कर्मचारी ने की इच्छामृत्यु मांग , तीन दिवस में न्याय नहीं मिलने पर कंपनी गेट के सामने आत्महत्या की चेतावनी दी
रायगढ़। विवादों से हमेशा चोली- दामन सा साथ रखने वाले अडानी समूह की प्रताड़ना को लेकर एक बार फिर से शहर में चर्चा तेज है। पुसौर तहसील अंतर्गत अडानी पावर लिमिटेड छोटे भंडार प्रबंधन की काली करतूतें खबरों की सुर्खियां बटोर रही है। पूर्व कर्मचारी चिंतामणी प्रधान ने कंपनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि उन्हें षड्यंत्र पूर्वक प्रताड़ित कर नौकरी से निकाल दिया गया। कंपनी के प्रोजेक्ट हेड धनंजय सिंह ठाकुर समेत कई अधिकारियों पर झूठे दस्तावेज तैयार कर जबरन कोरे कागज पर हस्ताक्षर कराए जाने का गंभीर आरोप भी लगाया गया है।

चिंतामणी प्रधान का आरोप है कि अधिग्रहित जमीन का उचित मुआवजा नहीं दिया गया। इसके बावजूद उन्हें डेढ़ साल तक नौकरी में रखकर 2015 में षड्यंत्रपूर्वक निकाल दिया गया। नौकरी से बाहर करने के पीछे उन्होंने साजिशन चोरी के झूठे आरोप लगाए जाने की बात कही। इतना ही नहीं, कंपनी ने ओटीएस योजना के तहत मिलने वाले पांच लाख रुपये का लाभ भी नहीं दिया। पीड़ित ने यह भी खुलासा किया कि रायगढ़ सांसद राधेश्याम राठिया के अनुमोदन के बावजूद कंपनी ने उसे नौकरी पर नहीं रखा। इसके बाद कलेक्टर जनदर्शन में कई बार आवेदन देने के बावजूद भी उसकी सुनवाई नहीं की गई। अत्याचार की हद पार होने पर आज जनदर्शन में चिंतामणी प्रधान ने अपने आवेदन में इच्छा मृत्यु की मांग तक कर दी, जिसे कलेक्टर ने कड़े शब्दों में खारिज कर दिया। लेकिन पीड़ित ने चेतावनी दी है कि तीन दिवस के भीतर उन्हें न्याय नहीं मिलेगा तो वह कंपनी के सामने आत्महत्या कर लेगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधन की होगी। इस पूरी घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि अडानी पावर लिमिटेड अपने प्रबंधन तंत्र के माध्यम से न सिर्फ कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार की भी पराकाष्ठा पर पहुँच चुका है।
बहरहाल मामला अब जिले के प्रशासन, सांसद और मुख्यमंत्री तक पहुंच चुका है। शहर में भी इस विषय को लेकर चर्चा तेज हो गई है और लोग प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। अब यह देखना लाजिमी होगा है कि छत्तीसगढ़ शासन और प्रशासन इस गंभीर मामला पर कब संज्ञान लेंगे।।