
रायगढ़। लैलूंगा वनपरिक्षेत्र में हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात कुर्रा गाँव में हाथियों का झुंड खेतों में घुस आया और घंटों तक उत्पात मचाता रहा। देखते ही देखते ग्रामीणों की महीनों की मेहनत से लहलहाती फसलें हाथियों ने रौंद डालीं। इस घटना से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है और ग्रामीण प्रशासन की लापरवाही पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

प्राप्त जानकारी अनुसार वनपरिक्षेत्र में लगभग 75 हाथियों का समूह विसरण कर रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि रात लगभग 11 बजे करीब 38 हाथियों का झुंड कुर्रा गाँव की सीमा में दाखिल हुआ। पहले तो हाथियों ने खेतों में खड़ी धान की फसल को रौंदना शुरू किया, उसके बाद महुआ और मक्का के खेतों को भी चपेट में ले लिया। कई ग्रामीण अपने घरों से निकलकर डंडा और टॉर्च लेकर हाथियों को भगाने की कोशिश करने लगे, लेकिन झुंड के आगे उनकी एक न चली। गांव की महिलाएं और बच्चे पूरी रात भय में दुबके रहे।
गाँव के किसान रामलाल और नरेश ने बताया कि उनकी आधी से ज्यादा फसल चंद घंटों में चौपट हो गई। “हमने सालभर की मेहनत लगाई थी, लेकिन हाथियों ने सब बर्बाद कर दिया। न प्रशासन सुनता है, न कोई मुआवजा मिलता है। आखिर हम गरीब किसान जाएँ तो जाएँ कहाँ?” – किसानों ने प्रशासन से सवाल दागा।
हाथियों के लगातार आतंक ने अब ग्रामीणों का जीना मुश्किल कर दिया है। कुर्रा गाँव ही नहीं बल्कि आसपास के कई गाँव जैसे भालुमुड़ा, कोतबा और जामगांव के खेतों में भी आए दिन हाथियों का झुंड घुस आता है। फसलों की बर्बादी तो हो ही रही है, साथ ही कभी भी बड़ी दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग केवल खानापूर्ति करता है, न तो कोई स्थायी समाधान निकाला जा रहा है और न ही हाथियों की गतिविधियों पर नियंत्रण किया जा रहा है।
गाँव के बुजुर्गों ने व्यंग्य करते हुए कहा – “हम तो समझ रहे थे सरकार चुनाव में सबका विकास करेगी, लेकिन अब लग रहा है हाथियों का ही विकास कर रही है। जनता की सुनवाई कहीं नहीं हो रही।”
इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही प्रशासन और वन विभाग हाथियों के उत्पात से बचाने ठोस कदम नहीं उठाते तो वे सड़क पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे।
लैलूंगा क्षेत्र में हाथियों की समस्या वर्षों से बनी हुई है। जंगल कटने और भोजन की कमी के चलते हाथी गाँवों की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों की सुस्ती और राजनीतिक उदासीनता के कारण ग्रामीणों की जिंदगी दांव पर लगी हुई है।
कुर्रा गाँव की यह ताजा घटना प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि अब और ढिलाई बरतने से हालात और बिगड़ेंगे। ग्रामीणों का साफ कहना है कि अब केवल आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए। वरना आने वाले दिनों में लैलूंगा में हाथियों का आतंक बड़ा जनआंदोलन खड़ा कर सकता है।